Friday, October 16, 2009

चुलेसिम।।।।सन्जीव सिंह

किन रोयोउ भन तिमी मन्को बलेसिमा
किन रख्योउ चोखो मुटु थिखो चुलेसिमा
ल ल ल ल ल ल ल ल आ आ आ
कस्तो चोट पर्‍यो भन
कस्को मर्मा पर्‍यो
तिम्रा निश्चल भित्र

कस्को बेथ सर्यो
किन बग्योउ अज तिमी
मन्को कुलेसिमा
किन रख्योउ चोखो मुटु थिखो चुलेसिमा
ल ल ल ल ल ल ल ल आ आ आ

कती घुम्ती आफ्नै लग्थ्यो
कती तिम्रै जस्तो
कती त्रिश्न तिम्रै लग्थ्यो
कती मेरै जस्तो
किन भागयोउ टाढा टाढा
एक्लै बेहोसिमा
किन रख्योउ चोखो मुटु थिखो चुलेसिमा
ल ल ल ल ल ल ल ल आ आ आ

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